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|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
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{{KKCatGeet}}<poem>काल बादलों से धुल जाए वह मेरा इतिहास नहीं है!<br>गायक जग में कौन गीत जो मुझ सा गाए,<br>मैंने तो केवल हैं ऐसे गीत बनाए,<br>कंठ नहीं, गाती हैं जिनको पलकें गीली,<br>स्वर-सम जिनका अश्रु-मोतिया, हास नहीं है!<br>काल बादलों से......!<br><br>
मुझसे ज्यादा मस्त जगत में मस्ती जिसकी,<br>और अधिक आजाद अछूती हस्ती किसकी,<br>मेरी बुलबुल चहका करती उस बगिया में,<br>जहाँ सदा पतझर, आता मधुमास नहीं है!<br>काल बादलों से......!<br><br>
किसमें इतनी शक्ति साथ जो कदम धर सके,<br>गति न पवन की भी जो मुझसे होड़ कर सके,<br>मैं ऐसे पथ का पंथी हूँ जिसको क्षण भर,<br>मंजिल पर भी रुकने का अवकाश नहीं है!<br>काल बादलों से......!<br><br>
कौन विश्व में है जिसका मुझसे सिर ऊँचा?<br>अभ्रंकष यह तुंग हिमालय भी तो नीचा,<br>क्योंकि खुले हैं मेरे लोचन उस दुनिया में,<br>जहाँ धरा तो है लेकिन आकाश नहीं है!<br>
काल बादलों से......!
</poem>
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