Last modified on 5 फ़रवरी 2011, at 16:55

मेरा ईश्वर / लीलाधर जगूड़ी

मेरा ईश्वर मुझसे नाराज़ है
क्योंकि मैंने दुखी न रहने की ठान ली

मेरे देवता नाराज़ हैं
क्योंकि जो ज़रूरी नहीं है
मैंने त्यागने की कसम खा ली है

न दुखी रहने का कारोबार करना है
न सुखी रहने का व्यसन
मेरी परेशानियां और मेरे दुख ही
ईश्वर का आधार क्यों हों ?

पर सुख भी तो कोई नहीं है मेरे पास
सिवा इसके कि दुखी न रहने की ठान ली है ।