मेरा चाँद
आज आधा है
उखड़ा-उखड़ा सुंदर मुखड़ा
फूले गाल सुनाते दुखड़ा
सूज गई हैं
दोनों आँखें
और नमी इनमें ज़्यादा है
बात कही किसने क्या ऐसी
क्यूँ आँगन में रात रो रही
दिल का दर्द छुपाता है ये
ऐसी भी क्या मर्यादा है
घबरा मत
ओ चंदा मेरे
दुख की इन सूनी रातों में
तेरे सिरहाने बैठूँगा
साथ न छोड़ूँगा
वादा है