मेरा जी गो तुझे प्यारा नहीं है
पर इतना भी तो ना-कारा नहीं है
हैं अक्सर ख़ूब-रू ओबाश लेकिन
कोई तुझ सा तो आवारा नहीं है
जो दिल ले कर हुए मुनकिर तुम इस तरह
मियाँ हम ने भी कुछ हारा नहीं है
हज़ारों आरजू दिल में गिरह है
पे कहने का हमें यारा नहीं है
न मरने देते हैं ‘काएम’ को लेकिन
ख़ुदा-वंदी से कुछ चारा नहीं है