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मेरा भेजा ख़राब हो गया है / अमिताभ बच्चन

मेरा भेजा ख़राब हो गया है
कामवाली बाई का रोना-लड़ना मुझे अच्छा लगता है
लेकिन परेड देख कर मैं सैनिकों के लिए उदास हो जाता हूँ
उनके करतब देख मेरा मन रोता है
परेड देखता प्रधानमंत्री मुझे निखट्टु मालूम पड़ता है

मेरा भेजा ख़राब हो गया है
सलामी लेता राष्ट्रपति
मुझे गोदाम में सड़ता अनाज मालूम पड़ता है
राष्ट्रपति भवन देखकर
जालियाँवाला बाग में चलती गोलियों की आवाज़ सुनाई देती है
जान बचाने के लिए कुएँ में गिरते लोग दिखते हैं
रानी एलिजाबेथ याद आती है

मेरा भेजा सचमुच ख़राब हो गया है
ये राष्ट्रपति, ये प्रधानमन्त्री कौन हैं
इन्हें देख जनरल डायर का चेहरा मुझे क्यों याद आता है
क्या मेरी आँखें ख़राब हो गई हैं
आकाश में कलाबाज़ी खाते प्रक्षेपास्त्रों को देख ये क्यों ख़ुश हो रहे हैं
इन्होंने हथियारों के विदेशी व्यापारियों को परेड देखने क्यों बुलाया है
ये उनके सामने गिड़गिड़ा क्यों रहे हैं
इन प्रक्षेपास्त्रों का आख़िर ये करेंगे क्या
क्या ये रखे-रखे सड़ जाएँगे
ये कंगाल खेत मजदूरों के किस काम आएँगे
ये प्रक्षेपास्त्र कबाड़ी की दुकान में कब पहुँच जाएँगे
मैं ढक्कन, मैं क्या सोच रहा हूँ

मेरा भेजा ख़राब हो गया है
मेरी चीन के लोगों से कोई दुश्मनी नहीं
मुझे अमरीकी लोगों से कोई नफ़रत नहीं
मुझे नहीं मारना है उन्हें
उनके हाथों नहीं मरना है मुझे
फिर ये लार क्यों टपका रहे हैं आग उगलते तोपों पर
ऊँटों पर बिठाकर ये क्यों घुमा रहे हैं मूँछ वाले इंसानों को
इस नज़ारे का मैं क्यों आनन्द नहीं उठा पा रहा हूँ छोटू

क्या मेरा भेजा ख़राब हो गया है
क्या इसी शक्ति-प्रदर्शन का नाम है गणतन्त्र
क्या मैं पाग़ल इस गणतन्त्र से बाहर हूँ
मुझे ये गणतन्त्र समझ में क्यों नहीं आ रहा
मुझे अपने समन्दर की चौकसी का डर क्यों नहीं सता रहा है
मुझे अपना भूगोल क्यों नहीं याद आ रहा है
मुझे ख़तरे सूंघने वाले अधिकारी कुत्तों की अहमियत का पता क्यों नहीं चल पा रहा है

मेरा भेजा ख़राब हो गया है
सावधान की मुद्रा पर मुझे हँसी क्यों आ रही है
विश्राम की मुद्रा पर मुझे हँसी क्यों आ रही है
तुम्हारा ये क़दमताल मुझे हँसा क्यों रहा है
ये डरावना माहौल मुझे डरा क्यों नहीं रहा है
ये आज़ादी का जश्न है मुझे समझ में क्यों नहीं आ रहा है
किसी भावी युद्ध का ये अभ्यास मुझमें गर्व पैदा क्यों नहीं करता
मुझमें किसी प्रकार की संजीदगी क्यों नहीं जगाता
तुम्हारे सैनिक समझौतों पर मैं हँसता ही क्यों चला जा रहा हूँ

मेरा भेजा ख़राब हो गया है