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मेरा सर था, कटारी रूबरू थी / सर्वत एम जमाल
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मेरा सर था, कटारी रूबरू थी
वतन था इक तरफ़, घर एक जानिब
मुसीबत कितनी भरी रूबरू थी<
poem
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