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[[Category:ग़ज़ल]]
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मेरी अक्ल-ओ-होश की सब हालतेआसाईशेंतुमने सांचे में ज़ुनूं के ढाल दीकर लिया था मैंने अहदे कर के अहद-ए-तर्क-ए-इश्कतुमने बाहे फिर बाँहें गले में डाल दी
यू यूँ तो अपने कसदाने कासिदाने-दिल के पास
जाने किस-किस के लिए पैगाम है
जो लिखे जाते थे औरो के नाममेरे वो खत भी तुम्हारे नाम हैहैं
ये तेरे खत , तेरी खुशबू , ये तेरे ख्वाब-ओ-खयाल,मताए जा मताऐ-जाँ है तेरे कौल-ओ-कसम की तरह
गुज़रता साल मैने इनहे मैने गुजश्ता सालों मैनें इन्हे गिन के रखा थाहैकिसी गरीब की जोड़ी हुई रकम की तरह
है मुहब्ब्त हयात की नज़रलज्जतवरना कुछ हज़्ज़तलज़्ज़त-ए-हयात नहीं क्या इज़ाज़त है एक बात कहूकहूँ
मगर खैर कोई बात नहीं
 
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