भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी अम्माँ / मोक्ष गौड़

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:28, 4 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोक्ष गौड़ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कितनी अच्छी मेरी अम्माँ,
सीधी-सच्ची मेरी अम्माँ।
बच्चों में मिलकर हो जाती-
बिल्कुल बच्ची मेरी अम्माँ।
मैं जल्दी सो जाऊँ, करती
माथा-पच्ची मेरी अम्माँ।

-साभार: आँख मिचौली, मोक्ष गौड़,8,11