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मेरी आँखों में देख के तारे सितारे सारे शर्मा गये / इब्राहीम 'अश्क़'
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मेरी आँखों में देख के तारे सितारे सारे शर्मा गये
पर सजनी ने हाल न पूछा और समझाने सब आ गये
दिन सूने हैं रातें वीरान इक इक लम्हा आज परेशाँ
तेरी याद के काले साये शबों पर भी अब छा गये
आह भी अब कुछ काम न आये प्यास बढ़े और जाम न आये
ऐसी प्रीत की रीत निभा के सनम हम पछता गये