भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया / कबीर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया।

पांच तत की बनी चुनरिया

सोरह सौ बैद लाग किया।

यह चुनरी मेरे मैके ते आयी

ससुरे में मनवा खोय दिया।

मल मल धोये दाग न छूटे

ग्यान का साबुन लाये पिया।

कहत कबीर दाग तब छुटि है

जब साहब अपनाय लिया।