भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी देह / तादेयुश रोज़ेविच

Kavita Kosh से
212.192.224.251 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 20:06, 13 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तादेयुश रोज़ेविच |संग्रह= }} <Poem> मेरी देह मुझसे क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी देह
मुझसे कहती है

मैं कभी नहीं बंद करूंगी साँस लेना
मैं कभी नहीं बंद करूंगी
खाना पचाना प्यार करना
मैं तुम्हारी देह
नहीं बंद करूंगी देखना

तुम मेरा क्या कर रहे हो
तुम मुझे कहाँ लिए जा रहे हो

तुम मुझे
इस खूँटी पर क्यों टांग देना चाहता हो
एक मनहूस छत के नीचे
क्यों धकेल देना चाहते हो तुम मुझे
स्क्राइस्क्रेपर की खिड़की से
क्यों फेंकते हो तुम मुझे
चक्कों के नीचे

छोड़ दो यहीं मुझे
मैं खुली हवा में
गहरी साँस लेना चाहती हूँ

मेरी जीभ किसी दोशीजा के
होठों के भीतर दाखिल होना चाहती है
तुम अगर ज़मीन के भीतर घुसना चाहते हो
जाओ, अकेले घुसो

मेरी देह
ख़ुद से बतियाती है
मैं रहूंगी
बेफ़िक्र
तुम्हारे बिना

मेरी देह छोड़ देती है मुझे
और बढ़ती है
तुम्हारी देह की तरफ़
तुम्हारी देह
मुस्कुराती है चीख़ती है
अपनी बत्तीसी की
भरपूर छटा बिखेरती
बतियाती है

उसके अलावा भी मेरी एक देह है
लेकिन तुम उसे नहीं देखते
तुम सिर्फ़ देखते हो
मैं को

मेरी देह
तुम्हारी देह को छूती है
और चालाकी के साथ कहती है
जानती हूँ
लेकिन मुझे
तुम्हें छूना ही है

हमारे हाथ
हमारे होंठ
हमसे ज़्यादा समझदार हैं।

(1979)

अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल