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मेरी नानी / शिवराज भारतीय


कितनी अच्छी मेरी नानी,
रोज सुनाती मुझे कहानी।

सांझ-सवेरे भजन सुनाती
तुलसी और परसाद खिलाती।
आंखों पर ऐनक लगवाकर,
रामायण का पाठ सुनाती।
भाई लखन-भरत सा बनना,
यही सिखाती मेरी नानी।
कितनी अच्छी मेरी नानी।

कभी न कड़वा किसी से बोलो,
बोल बोल में मिश्री घोलो।
पहले सोचो, समझो, तोलो,
फिर अपनी जिह्मवा को खालो।
कौए-कोयल की वाणी का,
भेद बताती मेरी नानी।
कितनी अच्छी मेरी नानी।।

दुनियां के इस रंग मंच पर,
कड़वे-मीठे कई सपने है।
हंसी खुशी से घुल मिल जाओ,
प्यार करो तो सब अपने है।
बात-बात में रोज ज्ञान की,
बात बताती मेरी नानी।
कितनी अच्छी मेरी नानी।।