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"मेरी भी आभा है इसमें / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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रंग-बिरंगे  
 
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यह जो इतने फूल खिले हैं  
 
यह जो इतने फूल खिले हैं  
कल इनको मेरे प्राणों मे नहलाया था  
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कल इनको मेरे प्राणों ने नहलाया था  
 
कल इनको मेरे सपनों ने सहलाया था  
 
कल इनको मेरे सपनों ने सहलाया था  
  

21:36, 26 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

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नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है
यह विशाल भूखंड आज जो दमक रहा है
मेरी भी आभा है इसमें

भीनी-भीनी खुशबूवाले
रंग-बिरंगे
यह जो इतने फूल खिले हैं
कल इनको मेरे प्राणों ने नहलाया था
कल इनको मेरे सपनों ने सहलाया था

पकी सुनहली फसलों से जो
अबकी यह खलिहाल भर गया
मेरी रग-रग के शोणित की बूंदें इसमें मुसकाती हैं

नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है
यह विशाल भूखंड आज जो चमक रहा है

रचनाकाल : 1961