Last modified on 26 मई 2011, at 21:30

मेरे कमरे के कोने में अब भी रोज़ाना / त्रिपुरारि कुमार शर्मा

मेरे कमरे के कोने में अब भी रोज़ाना
साँस लेती है तेरी एक अधूरी करवट

स्याह रात के जंगल में प्यास नंगी है