भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे बिस्तर पर सोयी रातरानी है / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:59, 19 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवधेश्वर प्रसाद सिंह |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मेरे बिस्तर पर सोयी रातरानी है।
खुद मोहब्बत में हमने बात मानी है।।
मेरे हिस्से की आधी रात बाकी है।
इक दूजे का रिश्ता दरमियानी है।।
कितनी सोती हो गहरी जाग जाओ भी।
तेरी गलियों की कब से खाक छानी है।।
आओ पलकों पर तुझको मैं बिठाऊँगा।
तुझसे नाता ये मेरा खानदानी है।।
हर डाली पर उल्लू का बसेरा है।
पहरेदारी में वो भी आसमानी है।।