भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरे मन में / स्वाति मेलकानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे मन के हर कोने में
     गीत तुम्हारा बजता है,
     जिसको बस मैं सुन पाती हूँ
     और न कोई सुनता है।