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मेरे मसीहा मैं जी उठूँगी, दुआएँ दे दे दवा से पहले / शबीना अदीब
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मेरे मसीहा मैं जी उठूँगी, दुआएँ दे दे दवा से पहले
हयात नूर बन के आजा ग़मों की काली घटा से पहले
वो बेवफ़ा हो गया है फिर भी उसी की यादों में ग़ुम रहूँगी
ये कैसे भूलूँ कि उसने मुझसे वफ़ा भी की है जफ़ा से पहले
जो चाहते हैं मदद सभी से जलील होते हैं जहाँ में
नवाज़ती है उन्हीं को दुनिया जो माँगते हैं ख़ुदा से पहले
वतन बचाने का वक़्त है ये मकां बचाने की फ़िक्र छोड़ो
मेरे भी हाथों में दे डॉ परचम मेरे बुजुर्गों हिना से पहले
खताएँ मुझसे हुई हैं लेकिन मुझे यकीं है तू बख्श देगा
मैं हसरते दिन पुकार लूँगी तेरे कर्म को सज़ा से पहले