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मेरे दिल की धड़कनों से हमआहंग होकर उठती हैं तो  
 
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आफ़ताब की हयात आफ़री शुआओं से मुझे  
 
आफ़ताब की हयात आफ़री शुआओं से मुझे  
तेरी जुदाई को बर्दाश्त करनें की क़ुव्वत मिलती है
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तेरी जुदाई को बर्दाश्त करनें की क़ुव्वत1 मिलती है
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'''शब्दार्थ:
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1, ताक़त, बल, क़ुवत
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01:53, 4 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

मेरे महबूब
जब दोपहर को
समुन्दर की लहरें
मेरे दिल की धड़कनों से हमआहंग होकर उठती हैं तो
आफ़ताब की हयात आफ़री शुआओं से मुझे
तेरी जुदाई को बर्दाश्त करनें की क़ुव्वत1 मिलती है

शब्दार्थ:
1, ताक़त, बल, क़ुवत