भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरे लालन सो जा रे / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रात हुई अब सो जा रे
मेरे लालन सो जा रे
नभ में चंदा मामा आये
चाँदी के रथ में ये आये
चमचम चमके गोलमंगोल
दूध कटोरे से अनमोल

तुझको दूध पिलाती हूँ
लोरी एक सुनाती हूँ
आँख मूँद कर सो जा रे
प्यारे बेटे सो जा रे

तुझको दूध पिलाती हूँ
लोरी एक सुनाती हूँ
आँख मुंद कर सो जा रे
प्यारे बेटे सो जा रे

सो जा सो जा सो जा रे
मेरे लालन सो जा रे