http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87_%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A5%8B_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_/_%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A5%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE_%E0%A4%86%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%88_/_%E0%A4%89%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B2_%E0%A4%AD%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF&feed=atom&action=historyमेरे सबसे बुरे सपनो में / येहूदा आमिखाई / उज्ज्वल भट्टाचार्य - अवतरण इतिहास2024-03-29T05:38:42Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87_%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A5%8B_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_/_%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A5%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE_%E0%A4%86%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%88_/_%E0%A4%89%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B2_%E0%A4%AD%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF&diff=265145&oldid=prevअनिल जनविजय: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=येहूदा आमिखाई |अनुवादक=उज्ज्वल भ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2019-07-19T07:46:31Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=येहूदा आमिखाई |अनुवादक=उज्ज्वल भ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
<p><b>नया पृष्ठ</b></p><div>{{KKGlobal}}<br />
{{KKRachna<br />
|रचनाकार=येहूदा आमिखाई<br />
|अनुवादक=उज्ज्वल भट्टाचार्य<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
[[Category:यहूदी भाषा]]<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
मेरे सबसे बुरे सपनो में <br />
तुम, अपनी चमकीली आँखों के साथ, <br />
हमेशा दीवारों के पास खड़ी रहती हो <br />
जिनकी बुनियाद का पत्थर <br />
एक दिल है ।<br />
<br />
जो सारी चीज़ें मैं करता हूँ, <br />
बिछुड़ना उनमें से शर्तिया एक है ।<br />
<br />
अपने सपनो में मैं हमेशा एक आवाज़ सुनता हूँ – <br />
यह मेरी आवाज़ नहीं – <br />
और तुम्हारी नहीं, <br />
यह तुम्हारी आवाज़ की बेटी भी नहीं ।<br />
<br />
चुनट पड़ी आँखें, मेरी आँखें <br />
बेपनाह थके जानवरों की आँखों की तरह <br />
ऐसे दिनों के लिए बेताब हैं <br />
जो रातों के साथ ख़त्म हो गए।<br />
<br />
प्यार का मुखौटा उन्होंने मुझसे छीन लिया <br />
इसी तरह मौत का मुखौटा भी । <br />
मेरे बिना जाने उन्होंने इन्हें छीन लिया । <br />
जबकि मैं तुम्हारे पास लेटा था ।<br />
<br />
यह मेरा असली चेहरा है ।<br />
<br />
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''<br />
</poem></div>अनिल जनविजय