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मेहा बरसने को है शाबास / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मेहा बरसने को है शाबास
बादल गरजने को है शाबास
बिजली चमकने को है शाबास
जच्चा तूने बिछियां पेरिया आज
सुवाग बड़ाने को शाबास
जच्चा तूने तोड़ा पेरिया आज
पिया के जगाने को शाबास
जच्चा तूने चुड़िलो पेरिया आज
पिया के रिझाने को शाबास
जच्चा तूने बेटा जाया आज
बंस बढ़ाने को शाबास
जच्चा तूने पीड़ी जाई आज
साजन बुलाने को शाबास