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मैंने अपने आंगन में गुलाब लगाए / निर्मला पुतुल
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23:49, 5 फ़रवरी 2011
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इस उम्मीद से कि उसमें फूल खिलेंगे
लेकिन कुछ फूलों की नियति ही ऎसी होती है
जो फूल की जगह काँटें लेकर आते हैं
शायद मेरे आँगन में लगा
गुलब
गुलाब
भी
कुछ ऎसा ही है मेरी ज़िन्दगी के लिए।
</poem>
अनिल जनविजय
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