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"मैं अपने हौसले को यकीनन बचाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक" के अवतरणों में अंतर

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घर से निकल पड़ा हूँ तो फिर दूर जाऊँगा
 
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तूफ़ान आज तुझसे है , मेरा मुकाबला
 
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तू तो बुझाएगा दीये, पर मैं जलाऊँगा
 
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इस अजनबी नगर में करूँगा मैं और क्या
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रूठूँगा अपने आपसे ख़ुद को मनाऊँगा
  
 
ये चुटकुला उधार लिए जा रहा हूँ मैं
 
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बाज़ार जा रहा कि उसको भुनाऊँगा
 
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अब सोचता हूँ दावतें दे कर मैं अब्र को
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बादल को दे के दावतें इस फ़िक्र में हूँ मैं
 
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.
 
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.
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22:30, 15 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

मैं अपने हौसले को यक़ीनन बचाऊँगा
घर से निकल पड़ा हूँ तो फिर दूर जाऊँगा

तूफ़ान आज तुझसे है , मेरा मुकाबला
तू तो बुझाएगा दीये, पर मैं जलाऊँगा

इस अजनबी नगर में करूँगा मैं और क्या
रूठूँगा अपने आपसे ख़ुद को मनाऊँगा

ये चुटकुला उधार लिए जा रहा हूँ मैं
घर में हैं भूखी बेटियाँ उनको हँसाऊँगा

गुल्लक में एक दर्द का सिक्का है दोस्तो,
बाज़ार जा रहा कि उसको भुनाऊँगा

बादल को दे के दावतें इस फ़िक्र में हूँ मैं
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.