भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं उसके निकट गया आधी रात को / इवान बूनिन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:25, 5 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=इवान बूनिन |संग्रह=चमकदार आसमानी आभा / इवान ब…)
|
मैं उसके निकट गया आधी रात को
वह सो रही थी
चाँदनी फैली थी खिड़की पर
और कम्बल चमक रहा था रेशम की तरह
कमर के बल लेटी थी वह
उघड़े उरोज उसके
ढुलके हुए थे दोनों तरफ़
और जीवन
शांत खड़ा था
उसके सपनों में
किसी बरतन में रखे जल की तरह
(1898)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय