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मैं और मेरी माँ / ममता जी० सागर
Kavita Kosh से
मैं
एकदम
अपनी माँ जैसी
छरहरा बदन
पतली उँगलियाँ
आँख के नीचे झाँई काले घेरे वाली वही
एक भारी दिल
फ़िक्र से भरा-भरा
दिमाग़ में इतने ख़याल
कि चैन से बैठने न दें कभी
और एक नेह भरी
मुस्कान सतह पर
मै
एकदम
अपनी माँ जैसी हूँ
उसके आँसू
मेरी आँख से बहते हैं
अनुवाद : राजेन्द्र शर्मा