Last modified on 2 अगस्त 2011, at 00:10

मैं कठिन समय का पहाड़ हूं / राजूरंजन प्रसाद

योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:10, 2 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजूरंजन प्रसाद |संग्रह= }} <poem> मैं कठिन समय का पहा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं कठिन समय का पहाड़ हूं
वक्त के प्रलापों से बहुत कम छीजता हूं
वहशी बादल डर जाते हैं
मेरा गर्वोन्नत सिर पाकर
समय की विभीषिका राख हो जाती है
पैरों तले कुचली जाकर
समुद्र की फेनिल लहरें अदबदा जाती हैं
अपना मार्ग अवरुद्ध देखकर
मैं वो पहाड़ हूं
जिसके अंदर दूर तक पैसती हैं
वनस्पतियों की कोमल सफ़ेद जड़ें
और पृथ्वी पर उनके भार को हल्का करता हूं
मैं पहाड़ हूं
मज़दूरों की छेनी गैतियों को
झुककर सलाम करता हूं।
(11.7.01)