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मैं कुछ नहीं करूंगा / निकलाय रुब्त्सोफ़ / अनिल जनविजय

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मैं कुछ नहीं करूँगा
समय बीत जाएगा
और

और बस, क्या कहूँ मैं
विवाह हो जाएगा तुम्हारा
और तुम अपने पति के लिए
रोज़ पकाओगी भोजन

तुम्हारा
गर्व करेगा तुम पर
तुम्हें अपनी पलकों पर बैठाएगा
कभी तुम्हें टैक्सी में घुमाएगा
और घूमेगा तुम्हारे आस-पास
जैसे धरती घूम रही है धुरी पर

मैं तुम्हारे बीच नहीं आऊँगा
होश में रहूँगा और दाढ़ी बनाऊँगा
घर अपने हमेशा दूध-दही ले जाऊँगा
ताकि दादा जी का पेट ठीक रहे

मैं कुछ नहीं करूँगा
तुम्हारी शान्ति भंग नहीं करूँगा
उजली रातों में जाऊँगा मिलने
हो सकता है
अपनी किसी नई प्रेमिका से

देखो न, देखो
वहाँ उस कोने में
अपनी पीली आँखों को सिकोड़कर
मेरी ओर ताक रही है
तुम्हारी सहेली
उदासी के साथ

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय