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मैं ज़ख्म खा के गिरा था के थाम उस ने लिया / फ़ैसल अजमी
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मैं ज़ख्म खा के गिरा था के थाम उस ने लिया
मुआफ कर के मुझे इंतिकाम उस ने लिया
मैं सो गया तो कोई नींद से उठा मुझ में
फिर अपने हाथ में सब इंतिज़ाम उस ने लिया
कभी भुलाया कभी याद कर लिया उस को
ये काम है तो बहुत मुझ से काम उस ने लिया
न जाने किस को पुकारा गले लगा के मुझे
मगर वो मेार नहीं था जो नाम उस ने लिया
बहार आई तो फूलों से उन की ख़ुश-बू ली
हवा चली तो हवा से ख़िराम उस ने लिया
फ़ना ने कफछ नहीं माँगा सवाल करते हुए
इसी अदा पे ख़ुदा से दवाम उस ने लिया