Last modified on 20 नवम्बर 2008, at 21:58

मैं जानता था / लीलाधर मंडलोई

गंगाराम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:58, 20 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह= }} <Poem> मैं जानता था कितनी ल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं जानता था
कितनी लफ़्फ़ाजी कर सकता हूँ मैं

मैंने नहीं चुना वह रास्ता

मीडिया प्रमुख होने के बाद
मैं नहीं था मिडिया में और
उन्होंने तस्लीम कर दिया इसे मेरी कमज़ोरी

वे नहीं जानते थे कि
एक लेखक के लिए कितनी बड़ी हो सकती है
लफ़्फ़ाजी की सज़ा