Last modified on 30 जून 2008, at 22:29

मैं जानता हूं मैं खोखला हो रहा हूं / सुन्दरचन्द ठाकुर

मैं जानता हूं मैं खोखला हो रहा हूं

खोखली मेरी हंसी

मेरा गुस्सा और प्यार

एक रैली में किसी ने कहा मुझे

उठा लें हथियार

मरना ही है तो लड़ कर मरें


मैं किसके ख़िलाफ़ उठाऊं हथियार

सड़क चलते आदमी ने कुछ नहीं बिगाड़ा मेरा

इस देश में कोई एक अत्याचारी नहीं

दूसरॊं का हक़ छीननए वाले कई हैं


मैं माफ़ ही कर सकता हूं सबको

इतना ही ताक़त बची है अब.