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"मैं जीवन में कुछ कर न सका / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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मैं जीवन में कुछ न कर सका!
 
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जग में अँधियाला छाया था,
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मैं ज्‍वाला लेकर आया था
 
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मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका!
 
मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका!

04:13, 2 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मैं जीवन में कुछ न कर सका!

जग में अँधियारा छाया था,
मैं ज्‍वाला लेकर आया था
मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!

अपनी ही आग बुझा लेता,
तो जी को धैर्य बँधा देता,
मधु का सागर लहराता था, लघु प्‍याला भी मैं भर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!

बीता अवसर क्‍या आएगा,
मन जीवन भर पछताएगा,
मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!