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मैं जैसी हो गयी, होना नहीं था / सोनरूपा विशाल

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मैं जैसी हो गयी, होना नहीं था
यूँ अपने आप को खोना नहीं था

तुम्हारा साथ तो अच्छा था लेकिन
मगर एहसान अब ढ़ोना नहीं था

सवेरे की थकन आँखों से बोली
ये सोना तो कोई सोना नहीं था

मुझे अफ़सोस है समझे नहीं तुम
तुम्हें मुझको कभी खोना नहीं था

तुम्हारी हो गई जब मैं,बताओ
तुम्हें भी क्या मेरा होना नहीं था?

किसी के जिस्म की ख़ुशबू थी उसमें
हमें वो पैराहन धोना नहीं था