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मैं तुम्हारे लिए ऐसा / बोधिसत्व

भर गिलास अदरक, लौंग, इलायची वाली चाय जैसा
बून्दी के एक लड्डू जैसा स्वाद से भरा
चुपड़ी रोटी जैसा
तारों भरी रात जैसा दमकता आभास,
बादल के टुकड़े जैसा घुमड़ता विलीन होता
नभ मण्डल में
भरे आकाश जैसा अछोर छाया हुआ
हरे पेड़ जैसा हिलता काँपता
अर्थवान कविता जैसा
गीले आटे में और पिसान्न जैसा
उन्नत माथे पर रंगीन बिन्दी जैसा
आँख के नीचे गहरे चोट के निशान जैसा
कलाई की टूटी चूड़ियों जैसा
खो गए पते जैसा
पता नहीं मैं तुम्हारे लिए कैसा-कैसा