मैं न हिंदू न मुसलमान मुझे जीने दो
दोस्ती है मेरा ईमान मुझे जीने दो
कोई एहसाँ न करो मुझपे तो एहसाँ होगा
सिर्फ़ इतना करो एहसान मुझे जीने दो
सबके दूख-दर्द को बस अपना समझ कर जीना
बस यही है मेरा अरमान मुझे जीने दो
लोग होते हैं जो हैरान मेरे जीने से
लोग होते रहें हैरान मुझे जीने दो