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"मैं पेड़ बन जाऊं / सान्दोर पेत्युफ़ी / गौतम कश्यप" के अवतरणों में अंतर

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तो भी तुझे पाने की ख़ातिर मैं मर जाऊँ ।
 
तो भी तुझे पाने की ख़ातिर मैं मर जाऊँ ।
  
'''मूल हंगारी से अनुवाद : गौतम कश्यप''
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  '''मूल हंगारी से अनुवाद : गौतम कश्यप'''
 
 
 
   '''मूल हंगारी भाषा में कविता इस प्रकार है :'''
 
   '''मूल हंगारी भाषा में कविता इस प्रकार है :'''

01:11, 27 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण

मैं पेड़ बन जाऊँ, यदि तुम इसके फूल बनो,
या फूल बन जाऊँ, यदि तुम शबनम की बून्द बनो ।
शबनम की बून्द बनूँ, यदि तुम धूप बनो,
बस, तुझ संग होने की चाहत है ।

मेरी प्रिये, अगर तुम स्वर्ग हो,
तो मैं उस ऊँचाई का तारा बन जाऊँ ।
प्रिये, अगर तुम नरक की ज्वाला हो,
तो भी तुझे पाने की ख़ातिर मैं मर जाऊँ ।

  मूल हंगारी से अनुवाद : गौतम कश्यप

  मूल हंगारी भाषा में कविता इस प्रकार है :
            Sándor Petőfi
           Fa leszek, ha...

Fa leszek, ha fának vagy virága.
Ha harmat vagy: én virág leszek.
Harmat leszek, ha te napsugár vagy...
Csak, hogy lényink egyesüljenek.

Ha, leányka, te vagy a mennyország:
Akkor én csillagá változom.
Ha, leányka, te vagy a pokol:
(hogy Egyesüljünk) én elkárhozom.