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मैं प्यार बेचती हूँ / रणजीत

नज़्रे भवानी

जी हाँ, हुजूर, मैं प्यार बेचती हूँ -
मैं तरह-तरह के किसम-किसम के प्यार बेचती हूँ !

यह प्यार प्रगल्भ ब्याहिता का, यह प्यार अधीर कुँवारी का
यह प्यार स्वकीया का, परकीया का, यह प्यार विमुक्ता नारी का
यह प्यार हक़ीकी है, यह प्यार मजाज़ी है
यह प्यार रिन्द है, सूफ़ी है, यह प्यार नमाज़ी है
यह शुद्ध भारती प्यार जो पहले आँख मीच कर शादी कर लेता है
फिर या तो आहें भरता है या धीरज धर लेता है
यह प्यार बोर्जुआ है, यह जनवादी है
यह प्यार रुहानी है, यह माद्दी है
यह प्यार खींचता और चिपा लेता है, यह मैग्नेटिक है
यह प्यार पुकारा तो करता पर मिलने से डरता है-यह प्लेटोनिक है

जी हाँ, हुजूर, मैं प्यार बेचती हूँ-
मैं तरह-तरह के, किसम-किसम के प्यार बेचती हूँ !

जी साड़कीय, यह प्यार, जो केवल मुस्काता है
जी पार्कीय, यह प्यार, पास में बिठलाता है
जी कॉलेजी यह प्यार सिर्फ़ बातें करता जो
प्रॅस्क्राइब्ड कोर्स से बाहर जाने में डरता जो
जी यह पिकनिक का प्यार जाग कर सो जाता है
ताश के पत्तों में मिल-मिलकर खो जाता है
यह प्यार त्रिकोणी है, फिल्मों वाला, जो एक साथ दो रोल किया करता है
हर शाम रूठता रेस्त्राँ में हर सुबह फ़ोन पर बोल लिया करता है
यह प्यार साल भर तक चलता गारन्टी-धारी है
यह हफ़्ते के हफ़्ते मिलता है फ़ुरसत में - रविवारी है

जी हाँ, हुजूर, मैं प्यार बेचती हूँ -
मैं तरह-तरह के, किसम-किसम के प्यार बेचती हूँ !

यह प्यार मौसमी है क़ुदरत के हाथों में जो पलता है
यह बिजली से पकने वाला, जो बिन मौसम फलता है
यह क्लोरोफ़िल-संयुक्त प्यार जो ख़ून साफ़ करता है
यह सर्व विटामिन-युक्त, शिथिल-तन में जीवन भरता है
यह प्यार हरा है, कच्चा ही खाया जाता है
यह प्यार मसाला डाल पकाया जाता है
यह प्यार ज़रा-सा सख़्त और यह ख़स्ता है
यह प्यार थोड़ा सा महंगा है, यह सस्ता है
यह प्यार विलायत से आया, यह देसी है
जी, वैसा ही लें आप, आपकी रुचि जैसी है

जी हाँ, हुजूर, मैं प्यार बेचती हूँ -
मैं तरह-तरह के, किसम-किसम के प्यार बेचती हूँ !

जी, चाहे आप प्यार लें मान-भरा अभिमान भरा
जी, चाहे आप प्यार लें वचन-भरा, मुस्कान-भरा
जी, अगर आप विकसित-रुचि हैं, यह प्यार रूठने वाला लें
जी, अगर आप क्षणजीवी हैं, यह झटपट उठने वाला लें
जी, अगर चूर हों मेहनत से, यह प्यार थकान मिटाता है
जी, अगर घिरे हों चिंता से, यह प्यार ग्रन्थि सुलझाता है
जी, अगर आपका दिल बहले यह प्यार यहाँ रो सकता है
जी, अगर आप नाराज़ न हों यह प्यार खफ़ा हो सकता है
जी, आज्ञा दें, यह प्यार आपके संकेतों पर मरता है
जी, बस यह ले लें आप, आपको यही सूट करता है

जी हाँ, हुजूर, मैं प्यार बेचती हूँ -
मैं तरह-तरह के, किसम-किसम के प्यार बेचती हूँ !

जी, वैसे तो यह प्यार-फ़रोशी ठीक नहीं है
पर फिर भी आख़िर बिजनेस है, कोई भीख नहीं है
फिर इस बाज़ारू युग में जी, इतना तो बहुत ज़रूरी है
इस लाभ-शुभी ढाँचे में यह क्रय-विक्रय तो मज़बूरी है
यहाँ ज्ञानों की, विज्ञानों की नीलामी बोली जाती है
यहाँ सच्चाई भी सोने के सिक्कों से तोली जाती है
यहाँ आस नहीं, उम्मीद नहीं, यहाँ ख़्वाब खरीदे जाते हैं
साहित्य-कला ही नहीं दिलो-दिमाग़ ख़रीदे जाते हैं
जब न्याय यहाँ बिकता है, ईमान यहाँ बिकता है
खुले आम आवाज़ लगा इन्सान यहाँ बिकता है
तब कौन ग़ज़ब हो गया अगर मैं प्यार बेचती हूँ !

जी हाँ, हुजूर, मैं प्यार बेचती हूँ -
मैं तरह-तरह के किसम-किसम के प्यार बेचती हूँ !