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मैं बचा लेना चाहती हूँ / सुमन केशरी

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मैं बचा लेना चाहती हूँ
ज़मीन का एक टुकड़ा
खालिस मिट्टी और
नीचे दबी धरोहरों के साथ

उसमें शायद बची रह जाएगी
बारिश की बून्दों की नमी
धूप की गरमाहट
कुछ चान्दनी

उसमें शायद बची रह जाएगी
चींटियों की बाम्बी
चिड़िया की चोंच से गिरा कोई दाना
बाँस का एक झुड़मुट
जिससे बाँसुरी की आवाज गूँजती होगी...