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"मैं विप्लव का कवि हूँ ! / मनुज देपावत" के अवतरणों में अंतर

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मैं विप्लव का कवि हूँ !  मेरे गीत चिरंतन ।
 
मैं विप्लव का कवि हूँ !  मेरे गीत चिरंतन ।
  
मेरी छंद बध्ध वाणी में नहीं किसी क्रिश्नाभिसारिका के आकुल अंतर की धड़कन;
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मेरी छंदबद्ध वाणी में नहीं किसी कृष्णाभिसारिका के आकुल अंतर की धड़कन;
अरे किसी जनपद कल्याणी के नूपुर के रुनझुन स्वर पर मुग्ध नहीं है मेरा गायन !
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अरे, किसी जनपद कल्याणी के नूपुर के रुनझुन स्वर पर मुग्ध नहीं है मेरा गायन !
  
 
मैं विप्लव का कवि हूँ !  मेरे गीत चिरंतन ।
 
मैं विप्लव का कवि हूँ !  मेरे गीत चिरंतन ।
  
मैं न कभी नीरव रजनी के अंचल में छुपकर रोता हूँ;
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मैं न कभी नीरव रजनी के अँचल में छुपकर रोता हूँ;
आंसू के जळ से अतीत के धुंधले चित्र नहीं धोता हूँ;
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आँसू के जल से अतीत के धुँधले चित्र नहीं धोता हूँ;
 
चित्रित करता हूँ समाज के शोषण का वह शोणित प्लावन ।
 
चित्रित करता हूँ समाज के शोषण का वह शोणित प्लावन ।
  
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आज विकट कापालिक बनकर !
 
आज विकट कापालिक बनकर !
महाप्रलय के शंखनाद से मरघट के सोये मुर्दों को जगा रहा हूँ !
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महाप्रलय के शंखनाद से मरघट के सोए मुर्दों को जगा रहा हूँ !
 
जगा रहा हूँ अभिनव की वह ज्वाल निरंतर,
 
जगा रहा हूँ अभिनव की वह ज्वाल निरंतर,
जलकर जिसमें स्वयं भस्म हो जय पुरातन !
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जलकर जिसमें स्वयं भस्म हो जाय पुरातन !
  
 
मैं विप्लव का कवि हूँ !  मेरे गीत चिरंतन ।
 
मैं विप्लव का कवि हूँ !  मेरे गीत चिरंतन ।
 
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06:09, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।

मेरी छंदबद्ध वाणी में नहीं किसी कृष्णाभिसारिका के आकुल अंतर की धड़कन;
अरे, किसी जनपद कल्याणी के नूपुर के रुनझुन स्वर पर मुग्ध नहीं है मेरा गायन !

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।

मैं न कभी नीरव रजनी के अँचल में छुपकर रोता हूँ;
आँसू के जल से अतीत के धुँधले चित्र नहीं धोता हूँ;
चित्रित करता हूँ समाज के शोषण का वह शोणित प्लावन ।

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।

आज विकट कापालिक बनकर !
महाप्रलय के शंखनाद से मरघट के सोए मुर्दों को जगा रहा हूँ !
जगा रहा हूँ अभिनव की वह ज्वाल निरंतर,
जलकर जिसमें स्वयं भस्म हो जाय पुरातन !

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।