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"मैं / बेढब बनारसी" के अवतरणों में अंतर

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काशी अविनाशी का अदना निवासी एक,
 
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कृष्णदेव नाम मगर रंग नहीं काला है,
 
कृष्णदेव नाम मगर रंग नहीं काला है,
सेवक सरस्वती का,
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सेवक सरस्वती का, दास दयानंद का हूँ,
दास दयानंद का हूँ,
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टीचरी में निकला दिमाग का दिवाला है.
 
टीचरी में निकला दिमाग का दिवाला है.
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काव्य लिखता हूँ नहीं हँसने की चीज निरी  
 
काव्य लिखता हूँ नहीं हँसने की चीज निरी  
रचना में व्यंग  
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रचना में व्यंग औ विनोद का मसाला है;
औ विनोद का मसाला है;
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पावन प्रसाद 'दीन' जी का मिला 'बेढब' है,
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मिला 'बेढब' है,
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सूर हूँ न तुलसी पंथ मेरा निराला है.
 
सूर हूँ न तुलसी पंथ मेरा निराला है.
 
   
 
   
 
नोट: 'दीन'जी = लाला भगवान 'दीन'
 
नोट: 'दीन'जी = लाला भगवान 'दीन'
 
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23:51, 12 मई 2010 के समय का अवतरण


काशी अविनाशी का अदना निवासी एक,
कृष्णदेव नाम मगर रंग नहीं काला है,
सेवक सरस्वती का, दास दयानंद का हूँ,
टीचरी में निकला दिमाग का दिवाला है.

काव्य लिखता हूँ नहीं हँसने की चीज निरी
रचना में व्यंग औ विनोद का मसाला है;
पावन प्रसाद 'दीन' जी का मिला 'बेढब' है,
सूर हूँ न तुलसी पंथ मेरा निराला है.
 
नोट: 'दीन'जी = लाला भगवान 'दीन'