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मैया के भुवन अरे हा अखण्डी ज्योति जरे / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मैंया के भुवन अरे हां, अखण्डी ज्योति जरे।
काहे के दीया काहे के बाती काहे के कलश धरे
अखण्डी ज्योति जरे। मैंया...
सोने की दीया कपूर की बाती, सोने के कलश धरे
अखण्डी ज्योति जरे। मैंया...
कौना मंदिर में जोत जरावे, कौना कलश धरे
अखण्डी ज्योति जरे। मैंया...
सीता सुहागन जोत जरावें, राम जी कलश धरे
अखण्डी ज्योति जरे। मैंया...
सब वेदन मे तोरो जस गावे
अखण्डी ज्योति जरे। मैंया...