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मै देख आई गुइया री / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मैं देख आई गुइयां री,
जे पारबती के सैंया
सांप की लगी लंगोटी,
करिया चढ़ो, कंधइयां री,
जे पारबती के सैयां।
गांजे भांग की लगी पनरियां,
पीवें लोग लुगइयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...
साठ बरस के भोले बाबा,
गौरी हैं लरकइयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...
तुलसी दास भजो भगवाना,
हैं तीन लोक के सैयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...
मैं देख आई गुइयां री,
जे पारबती के सैयां। मैं देख...