Last modified on 23 अक्टूबर 2013, at 16:19

मोरा छोटका बलमुआँ के घुँघरवाली बाल / महेन्द्र मिश्र

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:19, 23 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मोरा छोटका बलमुआँ के घुँघरवाली बाल।
नैना रसीली इनकर गोरे-गोरे गाल।
सासुजी का चोरी-चोरी माथवा बन्हवनी से दांतवा में मिस्सी चमके बिंदिया लिलार।
धानी दुपट्टा पहिनी सुरूखी चुनरिया रे फारेला जोबन मोरा चोली बूटीदार।
रिमझिम बरसेला सावन के महिनवाँ कि लइहों रे हिंडोला आइल सावन के बहार।
निरखे महेन्द्र मोरा उमँगे जोबनवाँ से कइसे के छिपाईं अब तो भइलें जिउआमार।