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मोर छत्तीसगढ़ के कोरा / रमेशकुमार सिंह चौहान

सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, मोर छत्तीसगढ़ के कोरा।
दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा।।
मैं कहिथंव ये मोर महतारी ऐ
बड़ मयारू बड़ दुलौरिन
मोर बिपत के संगवारी ऐ
सहूंहे दाई कस पालय पोसय
जेखर मैं तो सरवन कस छोरा
संझा बिहनिया माथा नवांव ऐही देवी देवता मोरे
दानी हे बर दानी हे,दाई के अचरा के छोरे।।
मोर छत्तीसगढ़ी भाखा बोली
मन के बोली हिरदय के भाखा
हर बात म हसी ठिठोली
बड़ गुरतुर बड़ मिठास
घुरे जइसे सक्कर के बोरा
कोइला अऊ हीरा ला, दाई ढाके हे अपन अचरा
बनकठ्ठी दवई अड़बड़, ऐखर गोदी कांदी कचरा
अन्नपूर्णा के मूरत ये हा
धन धान्य बरसावय
श्रमवीर के माता जे हा
लइकामन ल सिरजावय
फिरे ओ तो कछोरा
सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, मोर छत्तीसगढ़ के कोरा।
दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा।।