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मोर / रुचि जैन 'शालू'

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मोर की कलगी तो देखो
जैसे हो वह कोई ताज
कोयल की कू-कू तो सुन
जैसे बजता हो कोई साज
बगुला कैसे मछली पकड़े
यह कैसा है उसका राज
कितने तरह तरह के पक्षी
अलग-अलग इनका अंदाज़।