Last modified on 21 फ़रवरी 2013, at 20:50

मोहन खेल रहे है होरी / शिवदीन राम जोशी

Kailash Pareek (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:50, 21 फ़रवरी 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मोहन खेल रहे है होरी ।
गुवाल बाल संग रंग अनेकों, धन्य-धन्य यह होरी ।
वो गुलाल राधे ले आई, मन मोहन पर ही बरसाई,
नन्दलाल भी लाल होगये, लाल-लाल वृज गौरी ।
गुवाल सखा सब चंग बजावें, कृष्ण संग में नाचें गावें,
ऐसी धूम मचाई कान्हा, मस्त मनोहर जोरी ।
नन्द महर घर रंग रँगीला,रंग-रंग से होगया पीला,
बहुत सजीली राधे रानी, वे अहिरों की छोरी ।
शोभा देख लुभाये शिवजी, सती सयानी के हैं पिवजी,
शिवदीन लखी होरी ये रंग में, रंग दई चादर मोरी ।