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मौका देंय जबै भगवान / जगदीश पीयूष

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मौका देंय जबै भगवान।
एमले बनै चहै परधान॥

सबका बोलै अगड़म बगड़म।
सबका दिहे रहै सरसेंट॥
रामै चिरई, रामै खेत।
खाय ल्या चिरई भरि भरि पेट॥

जनता की आज्ञा अनुरूप।
लायेन बड़ी योजना खूब॥

ठेका भये लगाये बोली।
खोले रहे कमीशन रेट।
रामै चिरई, रामै खेत॥

करा चाकरी करा न काम।
दास मलूका कै लै नाम॥

भरी रहै दौलत से कोठरी।
भरी रहै नोटे से टेंट।
रामै चिरई, रामै खेत॥
खाय ल्या चिरई भरि भरि पेट॥