Last modified on 14 जून 2016, at 01:56

मौलिकता / कात्यायनी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:56, 14 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कात्यायनी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सृजन और प्‍यार और मुक्ति की
गतिकी के कुछ आम नियम होते हैं
लेकिन हर सर्जक
अपने ढंग से रचता है,

हर प्रेमी
अपने ढंग से प्‍यार करता है

और हर देश
अपनी मुक्ति का रास्‍ता
अपने ढंग से चुनता है।