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मौसम बहुत है सर्द जलाने को कुछ मिले / ओम प्रकाश नदीम
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मौसम बहुत है सर्द जलाने को कुछ मिले
जी चाहता है आग लगाने को कुछ मिले
पहले कहा था काम चलाने को कुछ मिले
अब चाहते हैं ब्याज़ चुकाने को कुछ मिले
जाने हमारे बीच से क्या चीज़ खो गई
लगता है साथ वक़्त बिताने को कुछ मिले
रोज़ा समझ के काट दिया दिन पहाड़-सा
अब शाम में तो प्यास बुझाने को कुछ मिले
ऐसी जगह 'नदीम' न टिक पाएँगे जहाँ
पीने को कुछ मिले न पिलाने को को कुछ मिले
आती नहीं है रास किसी को भी मुफ़लिसी
रिश्ते भी चाहते हैं कमाने को कुछ मिले