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म्हारा माथा की बिंदी-म्हारा कपाळ खऽ लगऽ / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

म्हारा माथा की बिंदी-म्हारा कपाळ खऽ लगऽ।
बिन्दी हेड़ डब्बी मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा माथा की बेसर म्हारी दाड़ी मऽ लगऽ।
बेसर हेड़ डब्बी मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा गला की तागली म्हारी छाती मऽ लगऽ।
तागली हेड़ खूटी मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा हाथ का बाजूबन्द म्हारी, पूट मऽ लगऽ।
बाजूबन्द हेड़ आलऽ मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारी कड़ी को कदरा, म्हारी कम्मर मऽ लगऽ।
कदरो हेड़ उस्य ऽ मेल फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।
थारा पांय का कड़ा म्हारा पांय मऽ लगऽ।
कड़ा हेड़ पायतऽ मेल, फिरी पेरजे ओ मिरगा नयनी।।