भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी / मालवी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:47, 18 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} <Poem> वररा दादाजी ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात


वररा दादाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
वररा काकाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...

गुँथी लावो म्हारी मालण स्याम सेवरो ओर
भली चंपे की कलियाँ गुंजामें गुंजो लाल जमेरी
ओरज मीठी दाखड़ली सेजा में मीठा गरी गीडोला।

वररा वीराजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
वररा मामाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...

गुँथी लावो म्हारी मालण स्याम सेवरो ओर भली
भली चंपे की कलियाँ गुंजा में गुंजो लाल जमेरी
ओरज मीठी दाखड़ली सेजा में मीठा गरी गींडोला।

वररा फूफा वररा जीजाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...
वररा मासाजी वीणे फूल हो म्हारा राइवर जोगो सेवरोजी...

इसी तरह परिवार के विभिन्न रिश्तेदारों के नाम जोड़ते-जोड़ते गीत लम्बा होता चला जाता है।